पौधारोपण के लिए मियावाकी विधि आज की आवश्यकता
प्रतापगढ। बृहद वृक्षारोपण अभियान के अन्तर्गत दिव्य ज्योति सेवा संस्थान भुपियामऊ द्वारा विकासखण्ड कालाकांकर के ऐंठू तथा रानीमऊ गॉव में बृहद वृक्षारोपण एवं पौध वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बृहद वृक्षारोपण अभियान के तहत आम, जामुन, पीपल, बरगद एवं नीम के 101 पौधे रोपित किए गए। इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए संस्थान के अध्यक्ष डॉ रणजीत सिंह ने कहा कि वृक्ष, वातावरण मे फैली दूषित वायु को शुद्ध करता है। जल वर्षा की सम्भावना अधिक होती है । जिससे मृदा अपरदन नहीं होता है। रोपित पौधों के संरक्षण के प्रति लोगों को शपथ दिलाई कि पौधे सूखने ना पाए।
कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक प्रदीप सिंह ने जापान की प्रसिद्ध मियावाकी विधि के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह एक सघन वृक्षारोपण पद्धति है। जिसमें कम स्थान पर अधिक पौधे लगाकर एक घना एवं प्राकृतिक जंगल विकसित किया जाता है। बंजर भूमि को भी हरा-भरा बना सकती है। इस विधि से तैयार जंगल केवल 23 वर्षों में विकसित हो जाते हैं। दिव्य ज्योति सेवा संस्थान आने वाले समय में विभिन्न गॉवों व स्कूल परिसरों में मियावाकी तकनीकि से मिनी जंगल तैयार करने की दिशा में कार्य करेगा।
कृषि विज्ञान केन्द्र के पूर्व उद्यान वैज्ञानिक डॉ सुधाकर सिंह ने कहा कि पौधरोपण जितना आवश्यक है, पौधों की देखभाल करना भी उतना ही आवश्यक है। भारतीय संस्कृति में इन वृक्षों को देवी-देवताओं का निवास बताया गया है। जैसे बरगद में समस्त देवताओं का निवास होता है, मुख्य रूप से ब्रह्मा जी का पीपल, विष्णु भगवान का नीम में माँ दुर्गा का निवास स्थान बताया गया है। विभिन्न वृक्षों के छाल, बीज, फल. पत्ते कई प्रकार की दवाइयों मे उपयोग किये जाते है। जैसे नीम के पत्तो को पानी मे उबालकर नहाने से शरीर के रोग दूर होते है। इसी प्रकार उसके डालियां दातुन के रूप मे उपयोग किया जाता है, यह एक आयुर्वेदिक औषधि है। कार्यक्रम के दौरान सुभाष यादव, गंगू प्रसाद, बाबूलाल, संजय, राम आसरे सिंह, इंद्रजीत सिंह, राम बरन, मनोज विश्वकर्मा, राज कुमार यादव, छोटेलाल सरोज, अरूण शुक्ला, राम कुमार समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।