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बदायूं खुदाई मे निकला प्राचीन शिवलिंग जेसीबी से तालाब की खुदाई के दौरान 6 फीट नीचे गड्ढे में निकली पंचमुखी शिवलिंग शुरू हुई पूजा

बदायूं खुदाई मे निकला प्राचीन शिवलिंग जेसीबी से तालाब की खुदाई के दौरान 6 फीट नीचे गड्ढे में निकली पंचमुखी शिवलिंग
सावन के महीने मे खुदाई मे पंचमुखी शिवलिंग निकलने की घटना चारो ओर चर्चा का विषय बनी हुई है।जिस दौरान कार्यक्रम चल रहा था वहीं कमल की खेती के लिए जेसीबी से तालाब की खुदाई चल रही थी जिसमें 6 फीट नीचे एक अद्भुत और प्राचीन पंचमुखी शिवलिंग निकली यह शिवलिंग देखने में अति प्राचीन पंचमुखी और संगमरमर के पत्थर की लग रही है।हालांकि शिवलिंग निकलने की सूचना पर कई गांव के बच्चे बूढ़े युवा और महिलाएं भी दर्शन के लिए उमड़ पड़े। हालांकि इस तालाब की खुदाई से पूर्व कई संतों ने मंत्र उच्चारण से पूजन हवन किया था।परमात्मा दास महाराज महंत पापड़ ब्रह्मदेव मंदिर ने बताया कि यह शिवलिंग करीब 300 साल पुरानी और अद्भुत शिवलिंग देखने में लग रही है ।इस मामले में शैलेश पाठक और शिप्रा पाठक का कहना है कि भक्तों की मांग पर जहां शिवलिंग निकली है वहां,वह भगवान शिव का भव्य और दिव्या मंदिर बनवाएंगे। हालांकि पूरा परिवार और आसपास के गांव के लोग शिवलिंग को देखकर बेहद खुश हैं और सावन माह में शिवलिंग निकलना एक चमत्कार से काम नहीं मान रहे हैं । हालांकि इस प्रकार की शिवलिंग मां नर्मदा से प्राप्त होती हैं। तो वहीं शिप्रा पाठक भी मां नर्मदा की अनन्य भक्त हैं और वह नर्मदा की परिक्रमा भी कर चुकी हैं सराय पिपरिया मे वाटर वुमन शिप्रा पाठक द्वारा कमल की खेती को बढ़ाने के लिए तालाब की खुदाई कराई जा रही थी तभी अचानक प्राचीन शिवलिंग निकल आया। शिवलिंग निकलने की सूचना पर आसपास के ग्रामीणो का तांता लग गया और पूजा अर्चना शुरू कर दी। शिप्रा पाठक के पिता बीजेपी नेता शैलेश पाठक का कहना है शिवलिंग जहाँ निकला है वहां विशाल मंदिर बनवाया जायेगा। ऐसी बेटी को पाकर वो धन्य हो गए हैँ जिसने पूरे विश्व मे उनका नाम रोशन किया है। उधर सावन के पवित्र महीने मे शिवलिंग निकलने को भक्त दैवीय चमत्कार मान रहे हैँ और शिवलिंग की पूजा अर्चना कर रहे हैँ।
बाइट – लौंगश्री,प्रीति देवी, नन्ही देवी आदि
शिवलिंग निकलने पर वाटर वुमन शिप्रा पाठक कहती हैँ चमत्कार के लिए आस्था नहीं होना चाहिए आस्था सच्ची होती है तो चमत्कार स्वयं होते हैँ। भगवान महादेव प्रकट हुए हैँ तो यहीं विराजमान किये जायेंगे।पेड़ पौधों को काटने वालो से ज्यादा उनको संरक्षित करने वाले होना चाहिए तभी प्राकृतिक संतुलन होगा। यही सोच कर पंचतत्व पौधोंशाला की शुरुआत की गई है।
इसपर संत मधुसूदान आचार्य जी का कहना है यह पंचमुखी शिवलिंग है जो लगभग 300 साल से भी ज्यादा प्राचीन हैँ। भगवान के नाम का भव्य मंदिर बनवाया जायेगा

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